Ajay mohan semwal , Dehradun

सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को गुज़रे आधी सदी से भी अधिक समय बीत चुका है, लेकिन उस युद्ध में लापता हुए देहरादून के एक सैनिक का आज तक कोई सुराग नहीं मिल सका। देहरादून के रानीपोखरी क्षेत्र के ग्राम मादसी (गडूल) निवासी हुकम सिंह, जो उस वक्त महज 18 वर्ष के थे, बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप (बीईजी) रुड़की में भर्ती थे। युद्ध शुरू होते ही देश की रक्षा के लिए सीमा पर गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे।

अब 54 वर्ष बाद उनके भांजे विक्रम सिंह, निवासी ग्राम मोहनपुर थाना दौराला, जनपद मेरठ (उत्तर प्रदेश) ने अपने मामा की गुमशुदगी की शिकायत रानीपोखरी थाने में दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने कहा कि मामा हुकम सिंह के जीवित या मृत होने की कोई जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है। न ही सेना से कोई आधिकारिक सूचना परिवार को प्राप्त हुई।

विक्रम सिंह ने बताया कि हुकम सिंह के विवाह के महज दो दिन बाद ही युद्ध का बुलावा आया था, और उनकी नवविवाहित पत्नी की भी दो माह बाद ही मृत्यु हो गई थी। इसके बाद पूरा परिवार अनिश्चितता में जीता रहा।

हुकम सिंह के नाम पर ग्राम मादसी में करीब 22 बीघा भूमि दर्ज थी, जो मूल रूप से उनके पिता (शिकायतकर्ता के नाना) के नाम पर थी। मामा के लापता होने के वर्षों बाद नाना ने अपनी तीन बेटियों को यह जमीन आपस में बांटने को कहा था। लेकिन भूमि का नामांतरण न होने का फायदा उठाकर कुछ स्थानीय प्रॉपर्टी डीलरों ने फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए जमीन अपने नाम कर ली।

विक्रम सिंह ने बताया कि असली हुकम सिंह अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर करते थे, जबकि फर्जी रजिस्ट्री में हिंदी में हस्ताक्षर किए गए हैं। इस धोखाधड़ी का खुलासा होने पर उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें कुछ आरोपितों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

अब उन्होंने मामा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है ताकि उनकी कानूनी स्थिति स्पष्ट हो सके और भूमि उनके असली वारिसों को मिल सके।

रानीपोखरी थानाध्यक्ष विकेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस यह भी जांच करेगी कि 1971 के युद्ध में लापता फौजी हुकम सिंह के संबंध में सेना के पास क्या आधिकारिक अभिलेख उपलब्ध हैं।

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