देहरादून, 23 मार्च। उत्तराखंड में पटरी से उतर रही शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए भले हमेशा शासन-प्रशासन लाख दावे कर रहा हो, लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के सरकारी स्कूल लगातार छात्रविहीन हो रहे हैं। सरकार स्कूलों का हाल ये है कि लगभग डेढ़ हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों में ताला लटक रहा है, जबकि अन्य लगभग साढ़े तीन हजार सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।

102 स्कूलों में तो केवल एक-एक ही छात्र
102 सरकारी स्कूल तो ऐसे हैं, क जिनमें मात्र एक-एक छात्र ही पढ़ाई कर रहा हैं। प्रदेश में एक अप्रैल 2024 से नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन इस सत्र के शुरू होने से पहले राज्य के कई विद्यालयों में ताला लटक गया है। शिक्षा महानिदेशालय ने हाल ही में राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जिलों में बंद हो चुके विद्यालयों की रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी विद्यालय छात्रविहीन होने से लगातार बंद हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 3,573 विद्यालयों में छात्र संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है। इसमें सबसे अधिक 785 स्कूल पौड़ी जिले के हैं, जबकि सबसे कम तीन स्कूल हरिद्वार जिले के हैं।

पौड़ी गढ़वाल जिले में हालात सबसे खतरनाक
राज्य में पौड़ी एकमात्र ऐसा जिला है, जिसमें सबसे अधिक 315 स्कूलों में ताला लटक चुका है, जबकि ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे कम मात्र 21 स्कूल बंद हुए हैं। छात्र न होने की वजह से राज्यभर में 1,671 स्कूल बंद हो चुके हैं।

यही हाल राज्य में अन्य जिलों का है, जिनमें अल्मोड़ा में 197, बागेश्वर में 53, चमोली में 133, चंपावत में 55, देहरादून में 124, हरिद्वार में सबसे कम 24, नैनीताल में 82, पौड़ी में 315, पिथौरागढ़ में 224, रुद्रप्रयाग में 53, टिहरी गढ़वाल में 268, ऊधमसिंह नगर में 21 और उत्तरकाशी जिले में 122 स्कूलों में ताला लटक चुका है।

राज्य के सभी जिलों से बंद हो चुके सरकारी विद्यालयों की रिपोर्ट मांगी गई थी। बंद हो चुके विद्यालयों का इस्तेमाल आंगनबाड़ी केंद्र, होम स्टे, एएनएम सेंटर एवं पंचायतघर के रूप में किया जाएगा, जिससे उपलब्ध भवन का इस्तेमाल होने से जनता को फायदा हो।
बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

× How can I help you?