दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज जैसे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT), स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटीज यूरोप और अमेरिका में ही स्थित हैं। यहां पर एडमिशन लेना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। मगर किसी को एडमिशन मिल भी जाए तो यहां फीस इतनी ज्यादा होती है कि इसे भरना काफी ज्यादा कठिन हो जाता है। ऐसे में स्कॉलरशिप काफी ज्यादा मददगार होती हैं।
टॉप यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए 1976 से दी जा रही स्कॉलरशिप
विदेश में पढ़ाई के लिए ज्यादातर छात्र लोन लेते हैं, जिसे बाद में भरना पड़ता है। मगर स्कॉलरशिप का फायदा ये होता है कि उसके जरिए कई बार पूरी पढ़ाई ही फ्री हो जाती है, तो कई दफा फीस माफ होती है। विदेश में पढ़ने के लिए ऐसी ही एक स्कॉलरशिप हर साल भारतीय छात्रों को दी जा रही है। दरअसल, 1976 से इनलाक्स शिवदासानी फाउंडेशन ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका में टॉप यूनिवर्सिटीज या संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहा है।
स्कॉलरशिप के लिए कहां करना है अप्लाई
इनलाक्स शिवदासानी फाउंडेशन की तरफ से दी जाने वाली स्कॉलरशिप के लिए ऑफिशियल वेबसाइट inlaksfoundation.org पर अप्लाई करना होगा। एप्लिकेशन प्रोसेस की शुरुआत फरवरी 2025 में होगी। स्कॉलरशिप की अवधि नौ महीने से लेकर चार साल तक है। स्टूडेंट्स को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि 1,00,000 डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) है, जिसके जरिए ट्यूशन फीस, रहने-खाने का खर्च, एक तरह की यात्रा का खर्च और हेल्थ अलावेंस कवर हो जाएगा।
स्कॉलरशिप के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया क्या है
विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली स्कॉलरशिप के लिए वे ही छात्र अप्लाई कर सकते हैं, जो भारतीय नागरिक हैं और उनके पास भारतीय पासपोर्ट है। उनके पास भारत की किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की बैचलर्स डिग्री होनी चाहिए। हालांकि, ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में पढ़ रहे छात्र भी इस स्कॉलरशिप के लिए एलिबिजिल हैं। इस स्कॉलरशिप के लिए सिर्फ उन्हीं छात्रों को एलिजिबल माना जाएगा, जो 1 जनवरी, 1994 या उसके बाद पैदा हुए हैं। हालांकि, जिन लोगों के पास पहले से ही मास्टर डिग्री है या उन्होंने पीएचडी की हुई है, वे इस स्कॉलरशिप के लिए एलिजिबिल नहीं हैं।