श्रीनगर, 4 मई लोक कला निष्पादन केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय में चल रहे बाल रंग महोत्सव के दूसरे दिन लाख की नाक नाटक एक शानदार मंचन किया गया। मंचन का शुभारंभ एनीमेशन डायरेक्टर भूपेंद्र कठैत, डॉक्टर कपिल पवार, विभागीय सदस्य प्रो डी आर पुरोहित और संजय पांडे ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखित नाटक लाख की नाक का निर्देशन शशांक जिमलोकी के द्वारा किया गया।

शहर के प्रतिष्ठित स्कूल मास्टरमाइंड के छात्र छात्रों के द्वारा इस नाटक को एक माह की कार्यशाला के बाद प्रस्तुत किया गया। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा रचित नाटक लाख की नाक भ्रष्टाचार पर एक व्यंग है, जिसमें एक गरीब लोहार बहुत मेहनत से लोहे की तलवार बनता है किंतु राजा का भ्रष्ट मंत्री लोहार लोहार को तलवार बनाने का कांट्रेक्ट नहीं देता क्योंकि लोहार के पास मंत्री को घूस देने के लिए पैसे नहीं होते और वह मंत्री सिर्फ सूंघकर तलवार को कच्ची बताता है।

फिर लोहार अपनी बेटी की योजना के अनुसार तलवार की धार पर मिर्च लगाकर मंत्री के पास जाता है और फिर मंत्री जैसे ही तलवार सूंघता है उसे छींक आती है और उसकी नाक कट जाती है। यह बात जब राजा को पता चलती है तब वह उस भ्रष्ट मंत्री को अपने राज्य से निष्कासित कर देता है। नाटक द्वारा जनता को यह संदेश दिया गया कि भ्रष्टाचारियों की समाज में हमेशा से ही नाक कटती है।

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