देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में शनिवार को “विकसित भारत @2047 की थीम के तहत तीसरी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की थीम ‘सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना’ रही। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के पटेल नगर स्थित एसबीएस सभागार में किया गया । कार्यशाला में श्री गुरु राम राय इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज, ऑन्कोलॉजी स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त तत्वावधान में देश को कैंसर मुक्त बनाने के विषय पर चर्चा की गई।
विकसित भारत @2047 के तहत एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने, श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज एवं ऑन्कोलॉजी स्वास्थ्य सेवा के सहयोग से अपनी तीसरी गतिविधि का आयोजन किया। कार्यशाला में सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए समग्र दृष्टिकोण के बारे में छात्रों को जागरूक किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज और कुलपति प्रोफेसर डॉ यशबीर दीवान ने आयोजकों को शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यशाला का शुभारंभ श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूड़ी , कार्यक्रम की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर डॉ मालविका कांडपाल, डीन एकेडमिक प्रोफेसर डॉ कुमुद सकलानी,कार्यशाला के मुख्य वक्ता श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के डॉ. पंकज गर्ग, कैंसर सर्जन, डॉ. अजीत तिवारी, कैंसर सर्जन, डॉ. रचित आहूजा, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूड़ी ने कहा कि विकसित भारत बनने के लिए नागरिकों का अच्छा स्वास्थ्य होना सबसे बड़ी पूंजी है। इंटरमिटेंट फास्टिंग समाज के लिए गलत चलन है, हमें डाइटिंग के लिए इसका पालन नहीं करना चाहिए। हमें अपने शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने के लिए अच्छी डाइट और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए। उन्होंने स्वस्थ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्वास्थ्य निर्धारकों की परस्पर संबद्धता और बहु क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उनका कहना था श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है।
विकसित भारत @ 2047 की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर डॉ मालविका कांडपाल ने आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य हमारे देश को कैंसर मुक्त बनाने के लिए छात्र छात्राओं में दृष्टिकोण विकसित करना है जो एक महत्वाकांक्षी और सराहनीय लक्ष्य है। उनका कहना था कि इसके लिए रोकथाम, प्रारंभिक पहचान, उपचार में प्रगति और सहायक नीतियों को शामिल करने वाले बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
इस मौके पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. पंकज गर्ग (कैंसर सर्जन) , श्री महंत इंदिरेश अस्पताल ने स्तन कैंसर के लिए प्रारंभिक पहचान और स्क्रीनिंग कार्यक्रम के विषय में जानकारी प्रदान की। उन्होने कहा कि हमें तीस की उम्र के बाद नियमित रूप से हर एक से तीन वर्ष के भीतर अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए।
डॉ. अजीत तिवारी, कैंसर सर्जन, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल ने गर्भाशय कैंसर के प्रारंभिक निदान और प्रबंधन के लिए छात्रों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि अगर किसी आपरेशन में हमारे शरीर से कोई भी अंग निकाला जाए तो उसकी जांच कराना आवश्यक है।
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ अर्चना ध्यानी रही। इस अवसर पर डॉक्टर राहुल कुमार, सलाहकार ऑन्कोलॉजी, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल डीन एकेडमिक प्रोफेसर कुमुद सकलानी, प्रोफेसर जी. रामालक्ष्मी, डॉ. द्वारिका प्रसाद मैठाणी, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. ऋतु सिन्हा, सुश्री अंकिता सहित विश्वविद्यालय के सभी स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, संकाय सहित सैकड़ों छात्र छात्राओं ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया।

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