डॉ. अजय मोहन सेमवाल। अब मदरसे में संस्कृत पढ़ाई जाएगी। ये ऐलान खुद मदरसा बोर्ड ने किया है। बोर्ड का कहना है कि मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने के नतीजे अच्छे आए हैं। अरबी के साथ-साथ संस्कृत सीखने से बच्चों को फायदा मिलेगा।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड राज्य में 400 से अधिक मदरसों में वैकल्पिक तौर पर संस्कृत शिक्षा लागू करने की योजना बना रहा है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि ‘हम इस योजना पर पिछले कुछ समय से काम कर रहे हैं। इस बारे में एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। अगर इसे राज्य सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल गई तो इसे लागू कर दिया जाएगा।’

उन्होंने कहा कि ‘सीएम पुष्कर सिंह धामी की मदरसा जाने वाले बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़े जाने की इच्छा के अनुरूप ऐसा किया जा रहा है। प्रदेश के मदरसों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) पाठयक्रम लागू करने से इस साल बहुत अच्छे रिजल्ट मिले हैं। पास होने वाले बच्चों का पर्सेंट 96 से अधिक रहा है। यह दिखाता है कि मदरसा जाने वाले बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। अगर उन्हें मौका मिले तो वे संस्कृत समेत अन्य विषयों में भी अच्छा कर सकते हैं।’

कासमी ने कहा, ‘अरबी और संस्कृत दोनों ही प्राचीन भाषाएं हैं। अगर मदरसों के स्टूडेंट्स को अरबी के साथ संस्कृत सीखने का भी विकल्प हो तो यह उनके लिए फायदेमंद होगा।’

बोर्ड के रजिस्ट्रार शाहिद शमी सिद्दीकी ने कहा कि मदरसों में संस्कृत शिक्षा अभी केवल एक विचार है जिसके लागू होने का इंतजार है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस संबंध में बोर्ड द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा उनके संज्ञान में नहीं लाया गया है।

क्या कह रहा है वक्फ बोर्ड
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी कहा कि मदरसों में संस्कृत शिक्षा लागू करने का विचार निश्चित रूप से अच्छा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि मदरसा बोर्ड को इसे लागू करने से क्या रोक रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर वे वास्तव में ऐसा चाहते हैं, तो इसे आसानी से कर सकते हैं। मैं नहीं समझता कि इस मामले में उन्हें राज्य सरकार से मंजूरी मिलने में कोई अड़चन आएगी।’

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