हरिद्वार, 15 सितम्बर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कृत भाषा अभिव्यक्ति का साधन एवं मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी है। संस्कृत भाषा से ही मानव सभ्यताएं विकसित हुई हैं। ऋग्वेद को भी संस्कृत में लिखा गया था, आज ये भाषा साहित्य के अन्य क्षेत्रों में भी व्यापक स्तर पर अभिव्यक्ति का साधन बन गई है।

रविवार को व्यास मंदिर भूपतवाला हरिपुरकलां में संस्कृत भारती की ओर से आयोजित अखिल भारतीय गोष्ठी में सीएम ने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं उसे अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्रदेश में कक्षा 1 से 5 तक संस्कृत पाठशालाएं प्रारंभ की जा रही हैं। बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर स्थित बोर्ड को हिंदी के साथ संस्कृत में लिखवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। उन्होंने कहा कि साहित्य से लेकर विज्ञान तक धर्म से लेकर आध्यात्म तक और खगोलशास्त्र से लेकर शल्य चिकित्सा तक हर क्षेत्र से जुड़े ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। हजारों साल पहले भारतीयों ने उत्कृष्ट ज्ञान के चलते पंचांग ग्रहों और नक्षत्रों की जानकारी जुटा ली थी।

उन्होंने कि संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसके शब्दों के आगे-पीछे हो जाने से वाक्य के भाव में कोई अंतर नहीं आता। अनेक यूरोपीय भाषाओं के अनेक शब्द संस्कृत से ही प्रभावित दिखाई देते हैं। संस्कृत अत्यंत ही समृद्ध, सरल और व्यवहारिक भाषा है। उन्होंने कहा कई सदियों तक विदेशी आक्रांताओं का शासन होने के कारण हम अभी संस्कृत भाषा से दूर होते चले गए। हमें एकजुट होकर अपनी मूलभाषा देववाणी संस्कृत को पुनः मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना है। इस मौके पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, प्रो. गोपबंधु, दिनेश कामत, के श्रीनिवास प्रभु, जानकी त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

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