देहरादून, 4 सितम्बर। उत्तराखंड से आने वाले बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल का एक और गढ़वाली गीत आया है. जिसे उन्होंने गढ़वाल के मशहूर कलाकार अमित सागर के साथ मिलकर बनाया है. इस गाने में जुबिन नौटियाल की मधुर आवाज और अमित सागर के शानदार संगीत और जबरदस्त कंपोजिशन सुनने को मिलेंगे.

जुबिन नौटियाल ने गाया नया गढ़वाली गीत
बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल का उनकी मातृभूमि उत्तराखंड से प्यार किसी से छिपा नहीं है. वो अक्सर उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाते दिखाई देते हैं.बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल का एक और गढ़वाली सॉन्ग आया है. उनकी सुंदर प्रस्तुति ‘सुवा तेरी यादों मा’ आपको सभी ऑडियो प्लेटफॉर्म पर सुनने को मिलेगा, जिसमें जुबिन नौटियाल ने अपनी मधुर आवाज दी है. वहीं इस गाने के लेखक और म्यूजिक कंपोजर उत्तराखंड के मशहूर कलाकार अमित सागर हैं.

जुबिन नौटियाल ने अमित सागर की तारीफ
जुबिन नौटियाल के स्वर और गढ़वाली कलाकार अमित सागर के शब्दों व म्यूजिक कंपोजीशन के साथ तैयार हुए ‘सुवा तेरी यादों मा’ गाने को 28 अगस्त को रिलीज हो गया है. जुबिन नौटियाल ने इस गाने को एक निजी चैनल के फेमस टीवी शो पर भी गाया था. इस दौरान जुबिन नौटियाल ने कहा कि यह पहाड़ी गजल उन्होंने अपने दोस्त और अपने भाई अमित सागर के साथ बनाई है. उन्होंने अमित सागर की तारीफ करते हुए कहा कि उनके द्वारा यह इतने प्यार से लिखा गया है कि हर कोई इसे समझ सकता है.

‘चैता की चैत्वाली’ से मिली थी अमित सागर को प्रसिद्धि
उत्तराखंड में ब-मुश्किल ही कोई ऐसा पहाड़ी होगा जिसने ‘चैता की चैत्वाली’ गाना नहीं सुना होगा, यहां तक कि जिन लोगों को यह गाना समझ में भी नहीं आता है वह भी इसके रिदम पर झूम उठते हैं. अमित सागर इस गाने के सिंगर और कंपोजर हैं. “चैता की चैत्वाली” के बाद उन्होंने हर उत्तराखंड के युवाओं के दिल पर राज किया. अमित सागर भी अपना पूरा काम गढ़वाल श्रीनगर से ही करते हैं. अमित सागर अपने नए एक्सपेरिमेंट के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने ‘चैता की चैत्वाली’ को नए तौर तरीके से गया, वहीं अब उन्होंने जुबिन नौटियाल के साथ जुगलबंदी की है।

लोक कलाकारों को भी संगीत जगह में मिल सकेगी जगह
उन्होंने जुबिन के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जुबिन ने उनके साथ बॉलीवुड गायक की तरह बर्ताव नहीं किया. उनका बर्ताव उनके साथ भाई के जैसा रहा. उन्होंने बताया कि जुबिन इसी तरह गढ़वाली गीतों को प्रोत्साहन देते रहेंगे तो एक दिन गढ़वाली गीतों को भी विभिन्न क्षेत्रों में पंजाबी, हिंदी, बगांली, भोजपुरी गानों की तरह प्लेटफॉर्म मिल सकेगा, जिससे यहां के लोक कलाकारों को भी संगीत जगत में प्रसिद्धि मिल सकेगी.

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