अल्मोड़ा, 7 अगस्त। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक छात्रा को उसकी शादी हो जाने के बाद कक्षा में न बैठने देने का मामला सामने आया है. छात्रा और उसके परिजनों का आरोप है कि शादी के बाद अब स्कूल प्रबंधन उसे प्राइवेट रूप से आगे की पढ़ाई करने को कह रहा है. उधर, मामले में स्कूल प्रबंधन ने सफाई दी है. ये मामला अल्मोड़ा के जीजीआईसी (गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज) का है.

छात्रा 8वीं क्लास से पढ़ ही है GGIC में
जानकारी के मुताबिक, अल्मोड़ा की रहने वाली एक छात्रा कक्षा 11वीं में पढ़ती है. वो कक्षा 8 से इस विद्यालय में पढ़ते आ रही है. बीती 28 जुलाई को उसके परिजनों ने उसकी शादी कर दी थी. छात्रा ने आरोप लगाते हुए कहा शादी होने के बाद वह 3 अगस्त को स्कूल गई थी. स्कूल में उससे कहा गया कि ‘अब आप स्कूल नहीं आ पाओगी और प्राइवेट से पढ़ाई करो. इससे यहां के बच्चों का माहौल खराब होगा…’ छात्रा का कहना कि वो स्कूल जाना चाहती है और आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन उसे मना किया जा रहा है.

स्कूल का आरोप, शादीशुदा लड़कियों के रहने से स्कूल का माहौल बिगड़ेगा
वहीं, छात्रा की सास ने आरोप लगाते हुए कहा अपने बेटे की शादी के बाद जब वो बहू को स्कूल लेकर गई तो स्कूल प्रबंधन ने उनकी बहू को क्लास में बैठाने से मना कर दिया. स्कूल प्रबंधन ने ये कह कर मना कर दिया कि ‘स्कूल में शादीशुदा लड़कियों के रहने से स्कूल का माहौल खराब हो सकता है. इसलिए आप इसे प्राइवेट शिक्षा दिला सकते हैं. विद्यालय में इसे नियमित पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है…’

उच्चाधिकारियों से सलाह के बाद लेंगे फैसला : प्रधानाचार्य
इधर, स्कूल की प्रभारी प्रधानाचार्य का कहना है कि ‘यह कोई विवाद का मामला नहीं है. छात्रा हमारे स्कूल में कक्षा 11वीं की छात्रा है. उसके परिजनों ने कहा था कि वो 28 जुलाई को छात्रा की शादी करने जा रहे हैं. इस दौरान केवल बात हुई थी. हमने कहा था कि यह हमारे संज्ञान में नहीं है कि विवाहित छात्रा को विद्यालय में बैठाए या ना बैठाएं. इस संबंध में उच्चाधिकारी से जानकारी लेंगे, उसके बाद उसे कक्षा में बैठने देंगे. इतनी सी बात को मुद्दा बना दिया.’

उन्होंने कहा कि उनकी उच्चाधिकारियों से बात हो चुकी है. उन्होंने छात्रा को कक्षा में बैठाने की बात कही है. स्कूल ने छात्रा का नाम निरस्त भी नहीं किया है. प्रधानाचार्य ने कहा छात्रा 24 जुलाई के बाद से अभी तक स्कूल नहीं आई है. विद्यालय में न बैठने देने का जो पत्र 3 अगस्त का है, उसमें लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने कहा विद्यालय नियमों के अधीन छात्रा अगर स्कूल आती है तो उसे पढ़ने से नहीं रोका जाएगा.

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