देहरादून, 30 जून। अब अधिकारों की स्वायत्तता की आड़ में राज्य के प्राइवेट विश्वविद्यालय एग्जाम से ठीक पहले तक छात्रों की बैक डोर एंट्री नहीं कर सकेंगे। प्राइवेट विवि के लिए अधिनियम बनने के बाद शासन ने नकेल कसते हुए नए सत्र में छात्रों को प्रवेश को लेकर निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत सभी प्राइवेट विवि पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम तिथि को शैक्षिक कैलेंडर के साथ शासन को ई-मेल करेंगे।

यही नहीं निर्धारित तिथि तक प्रवेश लेने के बाद एक सप्ताह के भीतर प्रवेशित छात्रों का विवरण वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। इस तिथि के बाद विवि कोई प्रवेश नहीं ले सकेंगे। 31 जनवरी 2024 को उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2023 के लागू होने के बाद अब प्राइवेट विश्वविद्यालयों की मनमानी पर नकेल कसी जा रही है।

अधिनियम में पहले ही प्राइवेट विश्वविद्यालय में प्रबंधन के चांसलर और प्रो चांसलर पदों को समाप्त कर दिए गए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार का दखल भी बढ़ गया है। जिसके तहत अनियमितता से जुड़े मामलों में राज्य सरकार को दखल करने के साथ ही कार्रवाई के अधिकार भी मिल गए हैं।

शिकायतों की जांच कराई
नए सत्र में प्रवेश को लेकर शासन की ओर से जारी पत्र को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राज्य के प्राइवेट संस्थानों की ओर से शासन को लगातार शिकायत की जा रही थी कि प्राइवेट संस्थान, विवि की ओर से निर्धारित तिथि के बाद एडमिशन नहीं ले पाते हैं।

जबकि प्राइवेट विश्वविद्यालय साल भर प्रवेश लेते हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार शासन ने अपने स्तर से भी शिकायतों की जांच कराई। जिसके बाद आठ जून को उपसचिव, उत्तराखंड शासन व्योमकेश दूबे की ओर से समस्त निजी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को पत्र भेजा गया। जिससे हड़कंप मचा है।

गुपचुप तरीके से छात्राें के प्रवेश नहीं ले सकेंगे
इस पत्र का निहितार्थ यह माना जा रहा है कि अब प्राइवेट विवि गुपचुप तरीके से छात्राें के प्रवेश नहीं ले सकेंगे। विवि को निर्देश दिए गए हैं कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 में संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया की समय सारणी निर्धारित कर शैक्षणिक कैलेंडर के साथ शासन को ई-मेल सूचना भेजेंगे।

यही नहीं प्रवेश के लिए निर्धारित की गई अंतिम तिथि तक प्रवेशित छात्र-छात्राओं का नाम, पाठ्यक्रम और प्रवेश की तिथि के साथ संपूर्ण विवरण, अंतिम तिथि की समाप्ति के एक सप्ताह की समयावधि में विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दें। संवाद

बाहरी प्रदेशों के छात्रों के प्रवेश को लेकर उठते रहे हैं सवाल
दरअसल, प्राइवेट विश्वविद्यालय खुद ही पाठ्यक्रम का सिलेबस तैयार करते हैं। परीक्षा कार्यक्रम से लेकर कॉपियां जांचने और रिजल्ट जारी करने का काम भी खुद ही करते हैं। इसी तरह कक्षा में उपस्थिति की मॉनिटरिंग भी विवि के हाथ में होती है। ऐसे में कुछ प्राइवेट विवि पर प्रोफेशनल कोर्स में बड़ी संख्या में सैकड़ों मील दूरी से छात्रों के यहां आकर प्रवेश लेने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन छात्रों के एडमिशन परीक्षा से कुछ समय पहले तक किए जाते हैं।

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