नई दिल्ली,, 7 सितम्बर। भारत में चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था में जो बदलाव होने वाले थे, वे अब नहीं होंगे। एमबीबीएस का सिलेबस अब फिलहाल नहीं बदलेगा। मेडिकल एजुकेशन में सीबीएमई करिकुलम गाइडलाइंस के तगड़े विरोध के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को अपने कदम वापस खींचने पड़े हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन मेडिकल का सिलेबस इसी साल 2024 से लागू करने वाला था। लेकिन 5 सितंबर, 2024 को जारी एक नोटिस में NMC ने कहा है कि नए निर्देश रद्द कर दिए गए हैं। जाहिर है कि इस करिकुलम में जिस तरह की बातें कही गई थीं, उनके विरोध के मद्देनजर आयोग को ये कदम उठाना पड़ा है।

CBME मेडिकल एजुकेशन गाइडलाइन में ऐसा क्या था?
गाइडलाइन्स को वापस लेने का फैसला ट्रांसजेंडर और दिव्यांगता अधिकार समूहों के विरोध के बाद आया है। समूहों ने MBBS छात्रों के लिए नए दिशानिर्देशों की आलोचना की थी। उन्होंने इन्हें ट्रांसजेंडर और दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति भेदभावपूर्ण और पक्षपात से भरा बताया था। दिशानिर्देशों को मेडिकल की पढ़ाई में “एबलिस्ट” और “ट्रांसफोबिक” दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाला बताया था।

भारत में मेडिकल एजुकेशन के नए कॉम्पीटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) गाइडलाइन में संशोधन की मांग की गई थी। क्योंकि ये वैश्विक मानकों के अनुरूप नहीं थे। ये भारत में हाल के कानूनी उदाहरणों का भी उल्लंघन करते हैं। इनमें ‘Sodomy’, ‘Lesbianism’ और ‘Transvestism’ जैसे शब्दों को यौन अपराध के रूप में शामिल किया गया था। इन्हें ‘अप्राकृतिक’ यौन अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके अलावा, दिशानिर्देश क्रॉस-ड्रेसिंग को “विकृति” के रूप में वर्गीकृत करते हैं। इसे ‘Voyeurism’ और ‘Necrophilia’ जैसे गंभीर अपराधों के साथ रखते हैं।

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