नई दिल्ली, 8 जुलाई। NEET-UG 2024 परीक्षा को रद्द करने समेत अन्य मांगों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने गलत काम करने वाले छात्रों की पहचान करने के लिए क्या कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि लीक हुआ है और लीक की प्रकृति कुछ ऐसी है, जिसे हम निर्धारित कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि आप केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि 2 छात्र गड़बड़ी में शामिल थे. इसलिए, हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत 23 लाख छात्रों के जीवन और करियर से निपट रही है, इसलिए यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि क्या प्रश्नपत्र का लीक होना इतना व्यापक था कि दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जाए.
सरकार की कार्रवाई का ब्यौरा मांगा
सीजेआई ने जोर देकर कहा कि हमें उन गलत काम करने वालों और पेपर लीक से लाभ उठाने वालों नहीं बख्शा चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी मांगा. सीजेआई ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रही है कि भविष्य में पेपर लीक न हो. सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पेपर लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है?
परीक्षा रद्द करना अंतिम उपाय
सीजेआई ने प्रश्नपत्रों के बारे में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे. कोर्ट ने पूछा प्रश्नपत्रों के सेट कब तैयार किए गए, इन लाखों पेपरों की छपाई कब हुई, उन्हें कब ले जाया गया, परीक्षा तिथि से पहले उन्हें कैसे कलेक्ट किया गया. अदालत ने यह बी स्पष्ट कर दिया है कि NEET-UG परीक्षा को रद्द करना अंतिम उपाय होगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने NTA, केंद्र और CBI को बुधवार 10 जुलाई को शाम 5 बजे हलफनामा दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
पेपर लीक और ग्रेस मार्क्स देने में गड़बड़ियों सहित धांधली के आरोपों ने पूरे भारत में मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच आक्रोश को जन्म दिया है. अभूतपूर्व रूप से 67 छात्रों ने शुरू में पूर्ण 720 अंक प्राप्त किए, जिसमें हरियाणा के एक ही केंद्र से 6 टॉप स्कोरर होने से धांधली का संदेह था. परिणाम निर्धारित तिथि से 10 दिन पहले 4 जून को घोषित किए गए.
सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के सबूतों की कमी और हजारों ईमानदार उम्मीदवारों पर संभावित नकारात्मक प्रभाव का हवाला देते हुए परीक्षा को रद्द करने के खिलाफ तर्क दिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने अदालत को दिए अपने हलफनामे में कहा है कि गोपनीयता के किसी बड़े पैमाने पर उल्लंघन के सबूतों के आभाव में घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा.
11 जून को इसी तरह की एक याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परीक्षाओं की पवित्रता प्रभावित हुई है और हमें जवाब चाहिए. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने एनटीए के वकील से कहा, ‘पवित्रता प्रभावित हुई है, इसलिए हमें जवाब चाहिए. याचिकाओं में परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और परीक्षा को लेकर उठाए गए मुद्दों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है. यह परीक्षा 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर 23 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने दी थी. इस बीच, सीबीआई ने विभिन्न राज्यों में दर्ज आरोपों और मामलों की जांच शुरू कर दी है. सरकार ने एनटीए द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षा सुनिश्चित करने के उपायों का प्रस्ताव देने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. एजेंसी के अध्यक्ष को भी बदल दिया गया है.

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