आर्थिक रूप से कमजोर होनहार छात्र भी पढ़ सकेंगे दून स्कूल में, 14 जुलाई को होगी परीक्षा

आर्थिक रूप से कमजोर होनहार छात्र भी पढ़ सकेंगे दून स्कूल में, 14 जुलाई को होगी परीक्षा

देहरादून, 10 जून। देश के प्रतिष्ठित विद्यालयों में शामिल दून स्कूल में अब होनहार बच्चे निशुल्क पढ़ाई कर सकेंगे। वैसे दून स्कूल में आसानी से प्रवेश नहीं मिलता, लेकिन अब ये मौका आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को भी मिलेगा। छात्रों को दून स्कूल में पढ़ने के लिए पहले आवेदन करना होगा और फिर दून स्कूल स्कॉलरशिप की लिखित परीक्षा पास कर साक्षात्कार से गुजरना होगा।

विद्यालय की ओर मिली जानकारी के अनुसार दून स्कूल छात्रवृत्ति परीक्षा का आयोजन 14 जुलाई को किया जाएगा। इस परीक्षा के लिए इच्छुक छात्रों को स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट www.doonschool.com/dsse/ के माध्यम से आवेदन करना होगा। पंजीकरण शुल्क मात्र 100 रुपये है। छात्रवृत्ति परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जाएगी, जिसमें अंग्रेजी, गणित, केस स्टडीज और रीजनिंग में उम्मीदवारों की दक्षता का आकलन किया जाएगा। सफल उम्मीदवारों को छह अक्तूबर को होने वाली मुख्य प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।

परीक्षा के तहत स्कूल की ओर से छात्र को दी जाने वाली छात्रवृत्ति राशि 20 से 120 फीसदी तक हो सकती है, जिसका निर्धारण उम्मीदवार के परिवार की वित्तीय जरूरतों व आर्थिक स्थिति के आधार पर छात्रवृत्ति समिति की ओर से किया जाता है। परीक्षा की तैयारी के लिए उम्मीदवार अंग्रेजी और गणित के लिए संबंधित कक्षाओं के अनुरूप एनसीईआरटी की ओर से उपलब्ध दिशा-निर्देशों की सहायता ले सकते हैं।

आयु सीमा
सातवीं कक्षा में प्रवेश के लिए छात्र की आयु 30 सितंबर 2024 तक 11-12 वर्ष और आठवीं कक्षा के लिए छात्र की आयु 30 सितंबर 2024 तक 12-13 वर्ष की होनी चाहिए।

1935 में हुई थी स्कूल की स्थापना
1935 में स्थापित दून स्कूल की स्थापना कलकत्ता के एक अधिवक्ता एसआर दास ने की थी। जिन्होंने बाद में बंगाल के महाधिवक्ता के रूप में भी कार्य किया। एसआर दास की शिक्षा इंग्लैंड में छात्रों के लिए प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मैनचेस्टर ग्रामर स्कूल में हुई। ब्रिटिश निजी बोर्डिंग स्कूल की तर्ज पर उसी दृष्टिकोण के साथ उन्होंने भारत में भारतीय छात्रों के लिए दून स्कूल स्थापित करने की योजना बनाई। वह भारतीय छात्रों को भारत में वही शैक्षिक के अवसर प्रदान करना चाहते थे, जो उन्होंने मैनचेस्टर में अनुभव किए थे।

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