नई दिल्ली : कोई भी मतदाता मतदान से वंचित न रहे इसके लिए चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि लिपिकीय या वर्तनी संबंधी त्रुटियों को नजरअंदाज करें, बशर्ते मतदाता की पहचान, वोटर आई डी कार्ड के जरिए स्थापित की जा सके.
इसमें यह भी कहा गया है कि किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र को पहचान के लिए स्वीकार किया जाएगा, बशर्ते कि निर्वाचक का नाम उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में हो जहां से वह आया है. तस्वीर के बेमेल होने की स्थिति में, निर्वाचक को चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध वैकल्पिक फोटो दस्तावेजों में से एक को चुनना होगा.
मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो क्या करें : पिछले महीने जारी एक आदेश में, चुनाव आयोग ने कहा कि जो मतदाता अपना वोटर आई डी कार्ड प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों में से एक प्रस्तुत करना होगा.
ये दस्तावेज हैं विकल्प : फोटो पहचान पत्रों में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड शामिल हैं.
भारतीय पासपोर्ट, फोटो के साथ पेंशन दस्तावेज, केंद्र या राज्य सरकारों या पीएसयू द्वारा कर्मचारियों को जारी किए गए फोटो के साथ सेवा आई-कार्ड, सांसदों, विधायकों और एमएलसी को जारी किए गए आधिकारिक पहचान पत्र, और सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अद्वितीय दिव्यांगता आई-कार्ड भी स्वीकार किए जाते हैं.
एनआरआई वोटर्स के लिए ये : प्रवासी भारतीय जो अपने भारतीय पासपोर्ट के विवरण के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हैं, उनकी पहचान मतदान केंद्र पर केवल उनके मूल पासपोर्ट ‘और कोई अन्य पहचान दस्तावेज नहीं’ के आधार पर की जाएगी.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से सात चरणों में होंगे. इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं.