देहरादून, 13 नवम्बर। हाईकोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में कहा था कि सरकार उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियमावली बनाए। वहीं, कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए, लेकिन सरकार इस फैसले पर अमल करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट गई थी।
प्रदेश के उपनल कर्मचारियों के मामले में सरकार ने 15 अक्तूबर के सुप्रीम फैसले के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। इससे विभिन्न विभागों में उपनल के माध्यम से काम कर रहे 22 हजार से अधिक कर्मचारियों में नाराजगी है।
उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री प्रमोद गुसाई के मुताबिक हाईकोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में कहा था कि सरकार उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियमावली बनाए। वहीं, कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए, लेकिन सरकार इस फैसले पर अमल करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट गई थी।
परिजनों के साथ सड़कों पर उतरने को बाध्य उपनलकर्मी
पिछले महीने सरकार की विशेष पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। अब सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि 25 नवंबर को होने वाली वार्ता में यदि सकारात्मक निर्णय न लिया गया तो कर्मचारी अपने परिजनों समेत सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे।
उपनल कर्मचारियों के अधिवक्ता सनप्रीत अजमानी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट मामले का संज्ञान लेने के बाद नोटिस जारी करेगा तो उपनल कर्मचारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा जाएगा। बता दें कि मांगों को लेकर सरकार ने उपनल कर्मचारियों को 25 नवंबर को वार्ता के लिए बुलाया है।