भारत की इंदौर लोकसभा सीट पर 2 लाख से ज्यादा वोटों के साथ NOTA का रिकॉर्ड

भारत की इंदौर लोकसभा सीट पर 2 लाख से ज्यादा वोटों के साथ NOTA का रिकॉर्ड

इंदौर, 4 जून। लगता है इंदौर लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी का मुकाबला नोटा कर रहा है. सुबह 19 राउंड की काउंटिंग के मुताबिक नोटा को 02 लाख से अधिक वोट मिल चुके थे. इसे देखते हुए लगता है कि देश में इंदौर नोटा के मामले में बड़ा रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है. बता दें कि इंदौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ने ऐन मौके पर नामांकन वापस ले लिया था और बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. इस धोखेबाजी से इंदौर में कांग्रेस में आक्रोश फैल गया. कोई उपाय न देखते हुए कांग्रेस ने विरोधस्वरूप नोटा को वोट करने की तगड़ी मुहिम चलाई. काउंटिंग में इसका असर देखने को मिल रहा है.

इंदौर में बना दोहरा रिकॉर्ड
इंदौर लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने देश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। उन्हें 12,26751 वोट मिले हैं। इसके साथ इंदौर में नोटा को दो लाख वोट मिले हैं। इंदौर के परिणाम की देशभर में चर्चा है। इंदौर में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने चुनाव से ठीक पहले नामांकन वापस ले लिया था। इस वजह से कांग्रेस इंदौर में चुनाव नहीं लड़ पाई। कांग्रेस ने जनता से अपील की थी कि नोटा पर वोट दे और अपना विरोध दर्ज करवाए। परिणाम में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी 11 लाख वोट से आगे चल रहे हैं। इससे पहले 2019 में गुजरात के नावासार सीट पर भाजपा के सीआर पाटिल ने 6,89,668 वोटों से जीत कर अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। शंकर लालवानी देश में सबसे बड़ी जीत की ओर हैं।

अभी तक नोटा के मामले में बिहार के गोपालगंज के नाम था रिकॉर्ड
देश में नोटा के पक्ष में सर्वाधिक वोट अब इंदौर के नाम होने वाले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार के गोपालगंज में मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में 51,607 वोट दिए थे. अब इंदौर में भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी और नोटा के बीच जारी प्रतिस्पर्धा के बीच 19वें राउंड में इंदौर के मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में 2 लाख वोट दिए हैं, जो अब तक के मतदान रिकॉर्ड में सर्वाधिक है.

सुमित्रा महाजन ने जताई थी नाराजगी
कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम द्वारा ऐन मौके पर नामांकन वापस लेकर बीजेपी ज्वाइन करने से इंदौर में कांग्रेसियों के अलावा आम जनता में भी गलत मैसेज गया. यहां तक कि बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री सुमित्रा महाजन ने भी इस प्रकार की गतिविधि का विरोध किया था. कई सामाजिक संगठनों ने भी इसका विरोध कर नाराजगी जताई थी. सुमित्रा महाजन को कई वरिष्ठ नागरिकों ने फोन करके अपने दिल की बात बताई थी कि वे लोग भले ही अब तक बीजेपी को वोट देते आए लेकिन इस बार नोटा को वोट देंगे.

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