नैनीताल, 24 अगस्त। सरकार सदन में नगर पालिका और नगर निगमों के एक्ट में संशोधन का एक्ट लेकर आई थी। इस एक्ट के पारित होने के दौरान विधायकों के विरोध के चलते इन्हें प्रवर समिति को भेज दिया गया है।
उत्तराखंड के 99 नगर निकायों के चुनाव फंस गए हैं। विधानसभा में निकायों से संबंधित विधेयक पारित होने के बजाए प्रवर समिति को चला गया है। प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही अब चुनाव की यह गाड़ी आगे बढ़ पाएगी। दरअसल, निकायों में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की संस्तुति के हिसाब से ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना है। इसके लिए सरकार सदन में नगर पालिका और नगर निगमों के एक्ट में संशोधन का एक्ट लेकर आई थी।
इस एक्ट के पारित होने के दौरान विधायकों के विरोध के चलते इन्हें प्रवर समिति को भेज दिया गया है। प्रवर समिति एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद दोबारा विशेष सत्र में विधेयक पास होंगे। विधेयक पास होने के बाद चुनाव होने तक की प्रक्रिया में भी एक से डेढ़ माह समय की जरूरत होगी।
विधेयक पास होने के बाद सभी जिलाधिकारी अपने जिले के निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेंगे। इस पर आपत्तियां व सुझाव मांगे जाएंगे। उनकी सुनवाई पूरी होने के बाद डीएम अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। शासन राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव की संस्तुति भेजेगा।
इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग नोटिफिकेशन जारी करेगा। तब जाकर चुनाव होंगे। इन सभी प्रक्रियाओं में समय लग सकता है। लिहाजा, 25 अक्तूबर तक की चुनाव टाइमलाइन फिर खतरे में नजर आ रही है।
प्रवर समिति के हिसाब से लेंगे निर्णय, सत्रावसान नहीं होगा : मंत्री
शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि चूंकि अब मामला प्रवर समिति के पास चला गया है, इसलिए समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। कहा, हमारी कोशिश है कि सत्रावसान नहीं हो, ताकि प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद विशेष सत्र में विधेयक पारित किए जा सकें।