डॉ. अजय मोहन सेमवाल। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने को लेकर उपनल कर्मियों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. मोर्चे ने आगामी 11 नवंबर को एक महारैली कर सचिवालय कूच का आह्वान किया है. महारैली को सफल बनाने के लिए उपनल संयुक्त मोर्चा और महासंघ के पदाधिकारियों ने तमाम कर्मचारियों के साथ विचार-विमर्श किया.
बता दें कि पिछले माह 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की नियमितीकरण के खिलाफ एसएलपी खारिज कर दी थी. वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के पक्ष में लिए गए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने यथावत रखा है. इसके बाद उपनल कर्मियों के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर कर्मचारी अब आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं. मोर्चे ने 11 नवंबर को विशाल महारैली कर सचिवालय कूच का फैसला लिया है.
उपनल संयुक्त मोर्चा और महासंघ प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी ने महत्वपूर्ण आपातकालीन सेवाओं से संबंधित विभागों, दून मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय, ऊर्जा निगम, वन विभाग सहित अन्य विभागों के उपनल कर्मचारियों के साथ बैठक की. इस मौके पर उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कर्मचारियों को आह्वान करते हुए कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उपनल कर्मियों के पक्ष में वर्ष 2018 में अपना फैसला सुनाया था.
जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और वहां भी सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला यथावत रखा. बावजूद उसके प्रदेश सरकार उपनल कर्मियों के नियमितीकरण मामले में उदासीन दिख रही है. अपने हक की लड़ाई के लिए सभी उपनल कर्मियों को एक होकर सड़कों पर उतरना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि 11 नवंबर को एक महारैली कर सचिवालय कूच किया जाएगा.
फिर भी सरकार नहीं चेती तो कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को विवश होना पड़ेगा. महासंघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष महेश भट्ट और महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि सरकार यदि जल्द उपनल कर्मियों के मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लेती तो 11 नवंबर के बाद प्रदेश की ऊर्जा, चिकित्सा और परिवहन जैसी आपातकालीन सेवाएं पूर्ण रूप से बंद कर दी जाएंगी. जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी.