दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई हुई मुश्किल, लाने पड़ेंगे कम से कम 63% मार्क्स

दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई हुई मुश्किल, लाने पड़ेंगे कम से कम 63% मार्क्स

नई दिल्ली, 27 जुलाई। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई अब पहले से मुश्किल हो गई है। डीयू से ग्रेजुएट होने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करनी होगी। ज्यादा नंबर लाने होंगे। क्योंकि Delhi University ने अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए प्रमोशन के नियम बदल दिए हैं। पहले जहां 50% अंक लाने पर छात्रों को अगले सेमेस्टर/ ईयर में प्रमोट कर दिया जाता था, अब उन्हें कम से कम 63% अंक लाने होंगे। यह नियम DU के सभी कॉलेजों में लागू होगा और सभी अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए मान्य होगा। लेकिन इसमें भी एक ट्विस्ट है।

इन छात्रों को डीयू प्रमोशन पॉलिसी से छूट
जो छात्र खेलकूद, NCC, NSS या दूसरी गतिविधियों में दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें इस नियम से छूट मिल सकती है। डीयू का कहना है कि यह कदम नई शिक्षा नीति (NEP) 2022 के तहत लागू हुए यूजी करिकुलम फ्रेमवर्क (UGCF) को सही तरीके से लागू करने के लिए उठाया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि छात्रों को सात पेपर पास करने होते थे और प्रमोट होने के लिए कुल 22 क्रेडिट प्राप्त करने होते थे। लेकिन NEP-UGCF 2022 के तहत सभी विषयों के क्रेडिट समान नहीं हैं। इस कारण, एक छात्र केवल 36% अंक प्राप्त करके भी अगले वर्ष में प्रमोट हो सकता है। समझिए यह कैसे संभव है?

मान लीजिए एक छात्र दोनों सेमेस्टर के केवल तीन पेपर पास करता है और एक सामान्य वैकल्पिक विषय पास करता है, तो भी उसे प्रमोट किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए नियमों में क्रेडिट सिस्टम को ज्यादा महत्व दिया गया है।

12 सदस्यों की समिति की सिफारिश को मंजूरी
इस कमी को दूर करने के लिए, DU ने 12 सदस्यों वाली एक समिति बनाई। इस समिति में मिरांडा हाउस, किरोड़ीमल कॉलेज और लेडी श्रीराम कॉलेज सहित कई दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज प्रिंसिपल्स शामिल थे। इसके अलावा समिति में डीन, एकेडमिक्स और परीक्षा नियंत्रक (COE) भी शामिल थे। समिति ने 7 मई को एक बैठक की और अपनी सिफारिशें दीं। इन सिफारिशों को DU के कुलपति योगेश सिंह ने 28 मई को मंजूरी दे दी।

समिति ने कहा कि NEP-UGCF 2022 को लागू करने में यह गड़बड़ी ‘छात्रों के शैक्षणिक विकास के लिए हानिकारक है और NEP 2020 में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रही है’। इसलिए, समिति ने सर्वसम्मति से यह सिफारिश की कि पास होने और प्रमोशन के नियमों की समीक्षा की जानी चाहिए।

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