हरिद्वार, 22 जुलाई। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज में आयोजित 44वें ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत, विशिष्ट अतिथि दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, देसंविवि के कुलपति शरद पारधी, प्रति कुलपति डा. चिन्मय पण्ड्या ने दीप प्रज्वलन एवं देसंविवि के कुलगीत से किया। ज्ञानदीक्षा समारोह में भारत के 15 राज्यों के नवप्रवेशी छात्र-छात्राएं दीक्षित हुए।
मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि जिन युवाओं में अनुशासन होता, वे युवा ही आगे बढ़ते हैं। देसंविवि में युवाओं को शिक्षा के साथ अनुशासन भी सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें जड़ों से जुड़ना और अनुशासित रहना सिखाती है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया जाने वाला ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह एक बहुत ही अच्छा आयोजन है, जिसे राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में आयोजित किया जाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय कर कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि शिक्षा भौतिक जगत से परिचित कराती है, लेकिन विद्या जड़ से जगत की यात्रा कराती है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर टकटकी लगाए बैठी है। आप भारत के एम्बेस्डर बनकर पूरी दुनिया में जाएं और वसुधैव कुटुंबकम के भाव का विस्तार करें। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. प्रणव पण्ड्या ने कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़कर नवप्रवेशी विद्यार्थियों को ज्ञानदीक्षा के सूत्रों से दीक्षित करते हुए कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। कुलपति शरद पारधी ने स्वागत भाषण दिया। इससे पूर्व कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत, प्रो. सुरेखा डंगवाल ने वीर शहीदों की याद में बनी शौर्य दीवार पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मप्र, झारखण्ड, बिहार सहित 22 राज्यों के 2000 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। उदय किशोर मिश्र व रामावतार पाटीदार ने नव प्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को वैदिक रीति से ज्ञानदीक्षा का वैदिक कर्मकाण्ड कराया। चयनित विद्यार्थियों को अतिथियों ने देसंविवि के प्रतीक चिह्न भेंट किए। इस अवसर पर देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ, आचार्यगण, शांतिकुंज परिवार के वरिष्ठ सदस्य तथा देश-विदेश से आये विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक मौजूद रहे।

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